Saturday 27 May 2017





                            ज्योतिष सीखें - भाग 1


##ज्योतिष सीखने की इच्छा अधिकतर लोगों में होती है। लेकिन उनके सामने समस्या यह होती है कि ज्योतिष की शुरूआत कहाँ से की जाये?
##कुछ जिज्ञासु मेहनत करके किसी ज्यातिषी को पढ़ाने के लिये राज़ी तो कर लेते हैं, लेकिन गुरूजी कुछ इस तरह ज्योतिष पढ़ाते हैं कि जिज्ञासु ज्योतिष सीखने की बजाय भाग खड़े होते हैं। बहुत से पढ़ाने वाले ज्योतिष की शुरुआत कुण्डली-निर्माण से करते हैं। ज़्यादातर जिज्ञासु कुण्डली-निर्माण की गणित से ही घबरा जाते हैं। वहीं बचे-खुचे “भयात/भभोत” जैसे मुश्किल शब्द सुनकर भाग खड़े होते हैं।
##अगर कुछ छोटी-छोटी बातों पर ग़ौर किया जाए, तो आसानी से ज्योतिष की गहराइयों में उतरा जा सकता है। ज्योतिष सीखने के इच्छुक नये विद्यार्थियों को कुछ बातें ध्यान में रखनी चाहिए-
शुरूआत में थोड़ा-थोड़ा पढ़ें।
जब तक पहला पाठ समझ में न आये, दूसरे पाठ या पुस्तक पर न जायें।
जो कुछ भी पढ़ें, उसे आत्मसात कर लें।
बिना गुरू-आज्ञा या मार्गदर्शक की सलाह के अन्य ज्योतिष पुस्तकें न पढ़ें।
शुरूआती दौर में कुण्डली-निर्माण की ओर ध्यान न लगायें, बल्कि कुण्डली के विश्लेषण पर ध्यान दें।
शुरूआती दौर में अपने मित्रों और रिश्तेदारों से कुण्डलियाँ मांगे, उनका विश्लेषण करें।
जहाँ तक हो सके हिन्दी के साथ-साथ ज्योतिष की अंग्रेज़ी की शब्दावली को भी समझें।
अगर ज्योतिष सीखने के इच्छुक लोग उपर्युक्त बिन्दुओं को ध्यान में रखेंगे, तो वे जल्दी ही इस विषय पर अच्छी पकड़ बना सकते हैं।
##ज्‍योतिष के मुख्‍य दो विभाग हैं - गणित और फलित। गणित के अन्दर मुख्‍य रूप से जन्‍म कुण्‍डली बनाना आता है। इसमें समय और स्‍थान के हिसाब से ग्रहों की स्थिति की गणना की जाती है। दूसरी ओर, फलित विभाग में उन गणनाओं के आधार पर भविष्‍यफल बताया जाता है। इस शृंखला में हम ज्‍यो‍तिष के गणित वाले हिस्से की चर्चा बाद में करेंगे और पहले फलित ज्‍योतिष पर ध्यान लगाएंगे। किसी बच्चे के जन्म के समय अन्तरिक्ष में ग्रहों की स्थिति का एक नक्शा बनाकर रख लिया जाता है इस नक्शे केा जन्म कुण्डली कहते हैं। आजकल बाज़ार में बहुत-से कम्‍प्‍यूटर सॉफ़्टवेयर उपलब्‍ध हैं और उन्‍हे जन्‍म कुण्‍डली निर्माण और अन्‍य गणनाओं के लिए प्रयोग किया जा सकता है।
##पूरी ज्‍योतिष नौ ग्रहों, बारह राशियों, सत्ताईस नक्षत्रों और बारह भावों पर टिकी हुई है। सारे भविष्‍यफल का मूल आधार इनका आपस में संयोग है। नौ ग्रह इस प्रकार हैं -
ग्रह अन्‍य नाम अंग्रेजी नाम
सूर्य रवि सन
चंद्र सोम मून
मंगल कुज मार्स
बुध ++ मरकरी
गुरू बृहस्‍पति ज्‍यूपिटर
शुक्र भार्गव वीनस
शनि मंद सैटर्न
राहु ++ नॉर्थ नोड
केतु ++ साउथ नोड
##आधुनिक खगोल विज्ञान (एस्‍ट्रोनॉमी) के हिसाब से सूर्य तारा और चन्‍द्रमा उपग्रह है, लेकिन भारतीय ज्‍योतिष में इन्‍हें ग्रहों में शामिल किया गया है। राहु और केतु गणितीय बिन्‍दु मात्र हैं और इन्‍हें भी भारतीय ज्‍योतिष में ग्रह का दर्जा हासिल है।
भारतीय ज्‍योतिष पृथ्‍वी को केन्द्र में मानकर चलती है। राशिचक्र वह वृत्त है जिसपर नौ ग्रह घूमते हुए मालूम होते हैं। इस राशिचक्र को अगर बारह भागों में बांटा जाये, तो हर एक भाग को एक राशि कहते हैं। इन बारह राशियों के नाम हैं- मेष, वृषभ, मिथुन, कर्क, सिंह, कन्‍या, तुला, वृश्चिक, धनु, मकर, कुंभ और मीन। इसी तरह जब राशिचक्र को सत्‍ताईस भागों में बांटा जाता है, तब हर एक भाग को नक्षत्र कहते हैं। हम नक्षत्रों की चर्चा आने वाले समय में करेंगे।
एक वृत्त को गणित में 360 कलाओं (डिग्री) में बाँटा जाता है। इसलिए एक राशि, जो राशिचक्र का बारहवाँ भाग है, 30 कलाओं की हुई। फ़िलहाल ज़्यादा गणित में जाने की बजाय बस इतना जानना काफी होगा कि हर राशि 30 कलाओं की होती है।
##हर राशि का मालिक एक ग्रह होता है जो इस प्रकार हैं -
##राशि अंग्रेजी नाम मालिकग्रह 
मेष एरीज़ मंगल
वृषभ टॉरस शुक्र f
मिथुन जैमिनी बुध 
कर्क कैंसर चन्द्र 
सिंह लियो सूर्य 
कन्या वरगो बुध 
तुला लिबरा शुक्र 
वृश्चिक स्कॉर्पियो मंगल 
धनु सैजीटेरियस गुरू 
मकर कैप्रीकॉर्न शनि 
कुम्भ एक्वेरियस शनि 
मीन पाइसेज़ गुरू
आज का लेख बस यहीं तक। लेख के अगले क्रम में जानेंगे कि राशि व ग्रहों के क्‍या स्‍वाभाव हैं और उन्हें भविष्‍यकथन के लिए कैसे उपयोग किया जा सकता हi

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Monday 22 May 2017





                Future Astro World

             #वास्तुशास्त्र 

#कुछ लोग घर में पुराने कपडे व् अख़बार या पुरानी मैगज़ीन संभाल कर रखते है जो की गलत परिणाम देता है इससे घर में बच्‍चो की पढ़ाई में बाधा आती है ।
#घर में कोई भी टूटी हुई मूर्ति या शो पीस या खिलोने नही रखने चाहिए । इससे घर में झगड़ा होना आम बात है ।
#घर में रखी बंद घड़ियाँ, पुराने सिक्के, टुटा हुआ काँच, पुराने सेल व् बैटरी ये सब राहु को खराब करते है, जो दक्षिण-पश्चिम पृथ्वी तत्व का मालिक है, घर में बरकत होनी मुश्किल है ।
#आपकी छत पर रखी पुरानी बोतलें, पाइप, फोल्डिंग पलंग और लकडीया व् अन्य कबाड़ किसी भी शुभ काम होने पर कलेश करवाने के जिम्मेदार होते है ।
#घर में पुराने मौजे, जूते, अंडर-गारमेंटस, खराब उपकरण, अधिक गैस सिलेंडर, टूटा कांच आदि बिल्कुल न रखें ये अशुभ ग्रहों के प्रतीक हैं जो की इंसान को हमेशा परेशान करते हैं ।
#कुल मिलाकर बात ये बनती है की जिस ग्रह से सम्बंधित अनावश्यक सामान या कबाड़ आप संभाल के रखते है उसी से जुडी हुई दिशा, तत्व व कार्यो में बाधा आने लगती है.
#यदि घर के नल टपकते रहते हो तो यह संकेत शुभ नही है, घर में धन एकत्रित नही हो पाता !तुरंत अपने नलों को ठीक करवायें । खास कर जब भी यह तीन जगाओ के नल खराब हो #बाथरूम का नल / #हाथ धोने वाले नल / #रसोर्इ का नल जल
#घर में दरवाजे या खिडकी को खोलते-बंद करते समय यदि किसी प्रकार की आवाज निकलें तो उसे तुरंत ठीक करने का प्रयास करें ।
#दर्पण को पूर्व या उत्तर दिशा में लगाना चाहिए । धन आने के रास्‍ते खुलते है ।
#घर की उत्तर दिशा को जितना स्वच्छ और खाली रखने का प्रयत्न करोगे घर में धन व लक्ष्मी की कृपा उतनी ही अधिक मिलेगी ।
#यदि भवन या दुकान के दरवाजें सम्बंधि कोई दोष हो जैसे दिशा दोष, द्वार वेद्ध या मुख्यद्वार पर किसी प्रकार का अवरोधक हो तो घर के मुख्य द्वार पर चांदी का स्वास्तिक बनायें ।
#घर का मंदिर हमेशा स्वच्छ रखें यहां किसी भी प्रकार की गंदगी न करें अन्यथा अनेक प्रकार के रोग व परेशानियां जीवन में बढने लगेंगी ।

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                      वास्‍तु  ऑफ‍िस और #दूकान

## दुकान के अंदर समान रखने के लिए आलमारी, शो-केस, फर्नीचर आदि दक्षिण-पश्चिम या नैऋत्य में लगाएं।
 ##दुकान में माल का स्टोर, या कोई भी वैसा सामान जिसका वजन ज्यादा हो उसे नैऋत्य कोण (दक्षिण या पश्चिम) में रखना चाहिए।
##पूजा के लिए मंदिर ईशान, उत्तर या पूर्व में बनाएं।
##दुकान या शोरूम के मालिक को पश्चिम दिशा में बैठना चाहिए। ऐसा करने से आय में वृद्धि होती है।
##अधिकाधिक कर्मचारियों के संपर्क में कैशियर को न बैठाएं। कुबेर का वास उत्तर दिशा में माना गया है। इसलिए जहां तक संभव हो कैशियर को उत्तर दिशा में ही बैठाएं।
##मालिक या मैनेजर तथा तिजोरी की जगह के ऊपर कोई बीम नहीं होना चाहिए। यह व्यवसाय के वृद्धि के लिए अच्छा नहीं होता।
##दुकान में काम करने वाले दुकानदार और कर्मचारी इस बात का ध्यान रखें की वह दूकान में बैठे तब उनका मुख पूर्व अथवा उत्तर दिशा में हो इस दिशा में मुख करके बैठने से धन लाभ होता है। ऐसा करने से ग्राहक का दुकानदार और कर्मचारियों के मध्य बेहतर सम्बन्ध बना रहता ह




##यदि आपकी दूकान में दूकानदार एवं कर्मचारी पश्चिम या दक्षिण की ओर मुख करके बैठते है तो सामान्यतः धन व्यय और कष्ट होता है।
##दुकान की तिजोरी को पश्चिम या दक्षिण दीवार के सहारे रखना शुभ होता है जिससे उसका मुख उत्तर या पूर्व दिशा की ओर हो।
##यदि दुकान में टीवी या कंप्यूटर रखना चाहते हैं, तो दक्षिणपूर्व दिशा सबसे शुभ है।
वेटिंग रूम बनाना है तो इसके लिए वायव्य कोण उत्‍तम रहेगा। कॉन्फ्रेंस मीटिंग हॉल भी वायव्य कोण में शुभ माना गया है।
##दूकान से धन लाभ के लिए तिजोरी & कैश बाॅक्स में कुबेर यंत्र या श्रीयंत्र अवश्य रखें तथा नगद पेटी कभी खाली न रखें।
##गद्दी पर बैठकर न तो भोजन करें और न ही सोने का कष्ट करें।
##नगद पेटिका या मेज पर पैर रखकर कभी भी नहीं बैठें।
##दूकान के मालिक या कर्मचारी जब भी दान दें तो दक्षिण तथा पश्चिम दिशा की ओर मुंह करके दान नहीं दे ऐसा करने से धन की हानि होती है।
##दुकान खोलते समय तथा शाम को बिजली जलाने के बाद कभी भी दान नही देना चाहिए।कभी भी दान फेंककर न दें, साथ ही दान देते समय, धरती या आसमान की ओर नहीं देखना चाहिए।
##दूकान के मालिक या कर्मचारी जब भी दान दें तो मुंह पूर्व या उत्तर की तरफ करके ही दें ऐसा करने से धन लाभ होती है।
##दुकान की उत्तर या पूर्व दिशा में देवी लक्ष्मी और गणेश की मूर्ति रखने व्यापार में लाभ होता है।दुकान में अपने कुल देवता अथवा इष्ट देवी देवता की तस्वीर लगानी चाहिए।
##यदि आपकी दुकान में बरकत न हो रही है, तो गणेश जी की मूर्ति मुख्य प्रवेश द्वार के ऊपर लगाए। यह मूर्ति दीवार के आगे-पीछे दोनों तरफ लगाएं।
##यदि आपकी दुकान दक्षिण मुखी है तो गणेश जी की मूर्ति केवल मुख्य दरवाजे के बाहर की ओर ही लगाना चाहिए।
##यदि आपके व्यवसाय में कोई परेशानी आ रही हो तो प्रतिदिन श्री लक्ष्मी सहस्रनाम का पाठ करें शीघ्र ही लाभ मिलेगा।
##कभी भी दुकान में हरे या गहरे रंग का प्रयोग न करें। यह रंग रोशनी अधिक खाता है। सफेद, क्रीम या पीला जैसे हल्के रंग का उपयोग करना शुभ होता है।


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Friday 19 May 2017

Future Astro world
20-May-2017
दैनिक राशिफल
कार्य में रुचि बढ़ेगी। नई योजनाएं लागू करें। निवेशादि शुभ रहेगा। परीक्षा, रोजगार में सफलता मिलेगी।मान सम्मान बढेगा।
##वृष
धर्म-कर्म से शांति मिलेगी। कार्य बनेंगे। निवेशादि से लाभ होगा। शत्रु परास्त होंगे। परीक्षा रोजगार में सफलता मिलेगी। आपसी संबंधों को महत्व दें।
##मिथुन
जोखिम-जमानत के कार्य न करें। विवाद से बचें। समय नेष्ट है, धैर्य रखें। कामकाज की अनुकूलता रहेगी।निर्णय सोच समझ कर ले।हानि हो सकती है।
##कर्क
व्यावसायिक श्रेष्ठता का लाभ मिलेगा। जीवनसाथी से सहयोग मिलेगा। सुख में कमी होगी। कोशिश करने पर कार्य बनेंगे। निवेश से लाभ होगा।
##सिंह
कोशिश के परिणाम अच्‍छे मिलेंगे। संपत्ति के कार्यों से लाभ होगा। रोजगार प्राप्ति होगी। सफलता मिलेगी। स्वयं के निर्णय लाभप्रद रहेंगे।
##कन्या
मानसिक संतोष, प्रसन्नता रहेगी। आवश्यक वस्तु समय पर नहीं मिलेगी। विद्यार्थी सफल होंगे। निवेशादि से लाभ होगा। पार्टी का आनंद मिलेगा।
##तुला
मान-सम्मान कम होगा। विवाद से बचें। कार्यप्रणाली ठीक नहीं रहेगी। नए कार्यों की रूपरेखा बनेगी। निवेशादि लाभ देंगे। दूसरों की नकल न करें।
##वृश्चिक
तंत्र-मंत्र में आस्था होगी। कार्य बनेंगे। निवेशादि लाभदायक रहेंगे। शत्रु शांत होंगे। रोजगार मिल सकता है। नए विचार, योजना पर चर्चा होगी।
##धनु
सम्मान मिलेगा। अध्यात्म की ओर झुकाव रहेगा। निवेश से लाभ होगा। रोजगार-परीक्षादि में मनोनुकूल लाभ होगा। जीवन संतोषप्रद रहेगा।
##मकर
विरोधी सक्रिय रहेंगे। रोजगार-परीक्षा व्यापार में लाभ होगा। लाभ के संयोग उपस्थित होंगे। विद्यार्थी सफल होंगे। कार्य के विस्तार की योजनाएं बनेंगी।
##कुंभ
मूल्यवान वस्तु गुम हो सकती है। जोखिम के कार्य न करें। आवश्यक दस्तावेजों पर देखकर दस्तखत करें। रोजगार में उन्नति एवं लाभ की संभावना है।
##मीन
प्रेम-प्रसंग बनेंगे। धनलाभ होगा। व्यापार वृद्धि होगी। रोजगार-परीक्षादि में मनोनुकूल सफलता मिलेगी।
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          जीवनसाथी से अनबन का कारण कहीं वास्‍तु दोष तो नही है




        
क्या आपके #लाइफपार्टनर से आपकी नहीं बनती है? यदि आपका #जीवनसाथी आपके #रिश्ते को लेकर उदासीन है। हर छोटी सी बात आपसी अनबन का कारण बन गई हैं।
कुछ ऐसे ही वास्तुदोष जिनके होने पर #पति-पत्नी के सबंधों को बुरी प्रभावित करते हैं।
#गृहलक्ष्मी घर के ईशान कोण का बहुत ही महत्व है। घर के हर कमरे के ईशान कोण को साफ रखें, विशेषकर शयनकक्ष के। #पति-पत्नी में आपस में वैमनस्यता का एक कारण सही दिशा में शयनक।क्ष का न होना भी है
2 अगर दक्षिण-पश्चिम दिशाओं में स्थित कोने में बने कमरों में आपकी आवास व्यवस्था नहीं है तो प्रेम संबंध अच्छे के बजाए, कटुता भरे हो जाते हैं। शयनकक्ष के लिए दक्षिण दिशा निर्धारित करने का कारण यह है कि इस दिशा का स्वामी यम, शक्ति एवं विश्रामदायक है। घर में आराम से सोने के लिए दक्षिण एवं नैऋत्य कोण उपयुक्त है। शयनकक्ष में #पति-पत्नी का सामान्य फोटो होने के बजाए हंसता हुआ हो, तो वास्तु के अनुसार उचित रहता है।
3 घर के अंदर उत्तर-पूर्व दिशाओं के कोने के कक्ष में अगर शौचालय है तो #पति-पत्नी का जीवन बड़ा अशांत रहता है। आर्थिक संकट व संतान सुख में कमी आती है। इसलिए शौचालय हटा देना ही उचित है। अगर हटाना संभव न हो तो शीशे के एक बर्तन में समुद्री नमक रखें। यह अगर सील जाए तो बदल दें। अगर यह संभव न हो तो मिट्टी के एक बर्तन में सेंधा नमक डालकर रखें।
4 शयनकक्ष में अगर आईना रखने की आवश्यकता हो तो उसे इस प्रकार लगाना चाहिए कि सोते समय शरीर का प्रतिबिंब उसमें दिखाई न दे। अगर ऐसा होता है तो #पति-पत्नी के सामंजस्य में बाधा पहुंचती है।
5 पति-पत्नी के बीच विश्वास जगाती है पीली रंग की चादर पर सोना चाहऐं।
6 2 किलो आलू में हल्दी या केसर लगाकर गाय को खिलायें।
7 घर में आने लगे बार-बार #बिल्ली, तो हो जाएं सावधान।
अगर आपके घर में अचानक ही #बिल्लियों का आना बढ़ गया है तो इसे सामान्य बात मानकर अनदेखी नहीं करें। यह भविष्य में होने वाली घटना का सकेत हो सकता है। इसलिए सावधान हो जाएं और घर में #सत्यनारायण भगवान की पूजा करवाएं अथवा कोई हवन का अनुष्ठान करें। जिस घर में अक्सर #बिल्लियों का आना-जाना लगा रहता है उस घर में रहने वाले लोगों के स्वास्थ्य में उतार-चढ़ाव बना रहता है। एक के बाद एक समस्याएं आने के कारण घर का मुखिया तनाव में रहता है। #बिल्लियों के बारे में मान्यता है कि भोजन करते समय #बिल्ली आकर देखे तो कष्ट होता है। अगर मल मूत्र कर दे तो बड़ी हानि होती है। आज कल कुछ लोगों में #बिल्लियां पालने का शौक बढ़ा है। इसका कारण यह है कि बल्ली के घर में बार-बार आने से बिल्ली के दूध पी जाने का खतरा ही नहीं रहता बल्कि घर में नकारात्मक उर्जा बढ़ने लगती है। नादर पुराण में बताया गया है कि #बिल्लियों की पैरों की धूल जहां भी उड़ती है वहां सकारात्मक उर्जा की हानि होती है यानी शुभ का नाश होता है।

13 ईशान में सोने से बीमारी होती है।
14 वास्तु के अनुसार हमेशा दक्षिण दिशा में सिर व पश्चिम दिशा में पैर करके सोना चाहिए ताकि पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र के अनुसार आप दीर्घायु एंव गहरी नींद प्राप्त कर सकें। पश्चिम दिशा की ओर पैर रखकर सोने से आध्यात्मिक शक्ति बढ़ती है। उत्तर की ओर पैर रखकर सोने से धन की वृद्धि होती है एवं उम्र बढ़ती है।
15 घड़ी को कभी भी सिर के नीचे या बेड के पीछे रखकर नहीं सोना चाहिए। घड़ी को बेड के सामने भी नहीं लगाना चाहिए अन्यथा बेड पर सोने वाला जातक हमेशा चिन्ताग्रस्त या तनाव में रहता है। घड़ी को बेड के बायी या दायी ओर ही लगाना हितकर रहता है।
16 बेडरूम में हल्के गुलाबी रंग का प्रकाश होना चाहिए जिससे #पति व पत्नी में अपसी प्रेम बना रहता है।
17 बेड रूम के दरवाजे के सामने पैर करके सोना भी अशुभ माना गया है।
18 #गृहस्थियों को शयन-कक्ष में सफेद संगमरमर नहीं लगावाना चाहिए| इसे मन्दिर मे लगाना उचित है क्योंकि यह पवित्रता का द्योतक है।
19 कार्यालय के कामकाज, अध्ययन आदि के लिए बैठने का स्थान छत की बीम के नीचे नहीं होना चाहिए क्योंकि इससे मानसिक दबाव रहता है।
20 बीम के नीचे वाले स्थान में भोजन बनाना व करना नहीं चाहिए। इससे आर्थिक हानि हो सकती है। बीम के नीचे सोने से स्वास्थ्य में गड़बड़ होती है तथा नींद ठीक से नहीं आती।
21 जिस घर, इमारत आदि के मध्य भाग (ब्रह्मस्थान) में कुआँ या गड्ढा रहता है, वहाँ रहने वालों की प्रगति में रूकावट आती है एवं अनेक प्रकार के दुःखों एवं कष्टों का सामना करना पड़ता है।
22 घर का ब्रह्मस्थान परिवार का एक उपयोगी मिलन स्थल है, जो परिवार को एक डोर में बाँधे रखता है।
23 नैर्ऋत्य दिशा में यदि शौचालय अथवा रसोईघर का निर्माण हुआ हो तो #गृहस्वामी को सदैव स्वास्थ्य-संबंधी मुश्किलें रहती हैं। अतः इन्हें सर्वप्रथम हटा लेना चाहिए। चीनी 'वायु-जल' वास्तुपद्धति 'फेंगशुई' के मत से यहाँ गहरे पीले रंग का 10 वाट का बल्ब सदैव जलता रखने से इस दोष का काफी हद तक निवारण सम्भव है।
24 प्लॉट या मकान के नैर्ऋत्य कोने में बना कुआँ अथवा भूमिगत जल की टंकी सबसे ज्यादा हानिकारक होती है। इसके कारण अकाल मृत्यु, हिंसाचार, अपयश, धन-नाश, खराब प्रवृत्ति, आत्महत्या, संघर्ष आदि की सम्भावना बहुत ज्यादा होती है।
25 परिवार के सदस्यों में झगड़े होते हों तो परिवार का मुख्य व्यक्ति रात्रि को अपने पलंग के नीचे एक लोटा पानी रख दे और सुबह गुरुमंत्र का उच्चारण करके वह जल पीपल को चढ़ायें। इससे पारिवारिक कलह दूर होंगे, घर में शांति होगी।
26 घर के अंदर यदि रसोई सही दिशा में नहीं है तो ऐसी अवस्था में #पति-पत्नी के विचार कभी नहीं मिलेंगे। रिश्तों में कड़वाहट दिनों-दिन बढ़ेगी। कारण अग्नि का कहीं ओर जलना। #रसोई घर की सही दिशा है #आग्नेय कोण। अगर आग्नेय दिशा में संभव नहीं है तो अन्य वैकल्पिक दिशाएं हैं। आग्नेय एवं दक्षिण के बीच, आग्नेय एवं पूर्व के बीच, वायव्य एवं उत्तर के बीच। यदि हम अपने वैवाहिक जीवन को सुखद एवं समृद्ध बनाना चाहते हैं और अपेक्षा करते हैं कि जीवन के सुंदर स्वप्न को साकार कर सकें
27 रसोई का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा प्लेटफार्म हमेशा पूर्व में होना चाहिए और ईशान कोण में सिंक व अग्नि कोण चूल्हा लगाना चाहिए। पानी फिल्टर ईशान कोण में लगाएँ।
28 रसोई के दक्षिण में कभी भी कोई दरवाजा या खिड़की नहीं होने चाहिए। खिड़की पूर्व की ओर में ही रखें।
29 रंग का चयन करते समय भी विशेष ध्यान रखें। #महिलाओं की कुंडली के आधार पर रंग का चयन करना चाहिए।
30 रसोई में कभी भी ग्रेनाइट का फ्लोर या प्लेटफार्म नहीं बनवाना चाहिए और न ही मीरर जैसी कोई चीज होनी चाहिए, क्योंकि इससे विपरित प्रभाव पड़ता है और घर में कलह की स्थिति बढ़ती है।
31 अन्‍नागार, गौशाला, रसोईघर, गुरू स्थल व पूजागृह जहां हो उसके ऊपर शयनकक्ष न बनाएं । यदि वहां शयनकक्ष होगा तो धन-संपदा का नाश हो जाएगा ।
32 परिवार के सदस्यों में माधुर्य भाव बना रहे, इसके लिए सभी सदस्यों का एक हंसमुख सामूहिक चित्र ड्राइंगरूम में लगाना चाहिए ।
33 दिन में एक समय या 5 दिन में एक बार परिवार के सभी सदस्यों को एक साथ भोजन करना चाहिए । इससे परस्पर संबंधों में प्रगाढ़ता आती है
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19-May-2017
दैनिक राशिफल
विवाद से बचें। कार्य में रुचि बढ़ेगी। नई योजनाएं लागू होंगी। निवेश से लाभ होगा। व्यापार अच्छा चलेगा।
धर्म-कर्म में रुचि बढ़ेगी। राजकीय कार्यों में गति आएगी। निवेशादि से लाभ होगा। शत्रु परास्त होंगे। रोजगार मिलेगा। बुद्धि चातुर्य से कार्य बनेंगे।
##मिथुन
मूल्यवान वस्तु गुम हो सकती है। वाहन-मशीनरी का प्रयोग सावधानी से करें। जोखिम-जमानत के कार्य न करें। व्यर्थ समय नष्ट न करें।
##कर्क
प्रेम-प्रसंग में अनुकूलता मिलेगी।पराक्रम से कार्य बनेंगे। निवेशादि लाभदायक रहेंगे। अपने प्रयासों से उन्नति पथ प्रशस्त करेंगे।
##सिंह
पराक्रम से कार्यसिद्धि होगी। संपत्ति के सौदे लाभदायक होंगे। व्यापारादि लाभ देंगे। रोजगार के अवसर प्राप्त होंगे। रुका पैसा मिलेगा।
##कन्या
विद्यार्थी सफल होंगे। निवशादि लाभ देंगे। मिष्ठान्नादि का आनंद मिलेगा। व्यावसायिक काम से यात्रा हो सकती है।
##तुला
जोखिम-जमानत के कार्य टालें। अस्वस्थता रहेगी। विरोधी परेशान करेंगे। स्वयं के प्रयासों से मान-सम्मान मिलेगा।
##वृश्चिक
कार्यप्रणाली में सुधार होगा। निवेश, साक्षात्कार, परीक्षादि के परिणाम सुखद होंगे। धनलाभ तथा यात्रा होगी। नए संबंधों के प्रति सतर्क रहें।
##धनु
प्रतिष्ठा वृद्धि होगी। अध्यात्म की ओर झुकाव रहेगा।‍ निवेशादि से लाभ होगा। रोजगार के अवसर मिलेंगे। कार्यक्षेत्र का विकास एवं विस्तार होगा।
##मकर
रोजगार के अवसर प्राप्त होंगे। अचानक कार्य बनने से हर्ष होगा। विद्यार्थी सफल होंगे। संतान की चिंता दूर होगी। व्यापार में नई योजनाएं बनेंगी।
##कुंभ
आवश्यक वस्तु समय पर नहीं मिलेगी। व्यय वृद्धि होगी। जोखिम-जमानत के कार्य टालें। विवाद से बचें। भूल करने से विरोधी बढ़ेंगे। उपहार मिलेगा।
##मीन
रुका हुआ पैसा वापस आ सकता है।निवेश आदि लाभदायक होगा।विधार्थी वर्ग को सफलता प्राप्त होगी।यात्रा हो सकती है।

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Monday 27 March 2017

नवरात्री में देवी माँ की पूजन विधि / नवरात्री पूजन विधि / नवरात्री की पूजा कैसे करे     

Navratri Pujan Saral Vidhi in Hindi / Navratri ki Puja Kaise Kare

                                                                                                                                      
                                                               
सबसे पहले आप सभी को नवरात्री की ढेर शुभकामनाये / Navratri Ki Shubhkamanye . आप सभी पर माँ शक्ति की कृपा सदैव बनी रहे ऎसी हम आप सभी के लिए माँ शक्ति से मंगल कामना करते है

कहा जाता है की सम्पूर्ण जगत धरती आकाश और पूरा ब्रह्माण्ड चलाने के लिए आदि शक्ति का शक्ति ही है जो अदृश्य रूप से सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड को संचालित करती है इसी शक्ति के शक्ति का आशीर्वाद हम सब पर बनी रहे इसी मंगल कामना के लिए हिन्दू धर्म में नवरात्री के रूप में इन्ही शक्तियों का विशेष रूप से पूजा अर्चना की जाती है जिसे हिन्धू धर्म के लोग इन विशेष तिथियों में माँ शक्ति को प्रसन्न करने के लिए नवरात्री पूजन / Navratri Pujan किया जाता है
नवरात्री में देवी माँ की पूजन विधि / नवरात्री पूजन विधि / नवरात्री की पूजा कैसे करे     

Navratri Pujan Saral Vidhi in Hindi / Navratri ki Puja Kaise Kare

हिन्दू धर्म मान्यताओ के अनुसार माँ दुर्गा दक्षिण दिशा में विराजती है इसलिए हम जब भी माँ दुर्गा की पूजा करे तो हमारा मुख दक्षिण या पूर्व दिशा की तरफ होना चाहिए जिससे हम माँ शक्ति से सीधे रूप से जुड़ सकते है और माँ दुर्गा में अपना ध्यान लगा सकते है
माँ दुर्गा की पूजा का मुख्य ध्येय सभी भक्त माँ की कृपा और दया की इच्छा रखते है और माँ की शक्ति सदा बरसते रहे जिससे फिर कभी हम खुद को कमजोर न समझे और माँ शक्ति को दया और करुणा का रूप समझा जाता है जिससे माँ शक्ति बहुत ही जल्दी अपने भक्तो पर प्रसन्न हो जाती है इसलिए माँ दुर्गा की पूजा उपासना कभी भी सच्चे मन से की जा सकती है
और माँ दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए नवरात्री में विशेष पूजा अर्चना का महत्व है और नवरात्री के 9 दिन अलग अलग देवी माँ को प्रसन्न करने किया जाता है जो सभी देविया माँ शक्ति के अलग अलग रूप है जिनके पुजन से माँ का आशीर्वाद सीधे रूप में मिलता है
नवरात्री पूजा के लिए हिन्दू महिलाये और पुरुष नवरात्र के प्रथम दिन और अष्टमी के दिन व्रत रखती है और बहुत से लोग नवरात्र के 9 दिन व्रत का पालन करते है नवरात्र में माँ दुर्गा की पूजा के लिए कलश स्थापना का विशेष महत्व है
नवरात्री पूजन के लिए सबसे पहले अपने घर की पूरी साफ़ सफाई कर लेनी चाहिए फिर नवरात्र के प्रथम दिन हम सभी को स्नान पूर्ण करके स्वच्छ वस्त्र धारण करना चाहिए फिर अपने घर या आगन में माँ दुर्गा के लिए मंडप सजाना चाहिए और माँ दुर्गा की मूर्ति की स्थापना करनी चाहिए और मूर्ति के दाई तरफ  कलश की स्थापना करनी चाहिए और सभी कलश के बाहर मिट्टी में जौ बो देना चाहिए जो की माँ दुर्गा के आशीर्वाद से सभी जौ 9 दिन में बड़े बड़े पौधे का आकार ले लेते है जो की माँ शक्ति के शक्ति का परिचायक होता है और इससे घर में समृद्धि आने का अनुमान भी होता है
और सबसे पहले हिन्दू धर्म के प्रथम देवता भगवान गणेश की पूजा करनी चाहिए इसके पश्चात माँ दुर्गा की पूजा करनी चाहिए क्यूकी ऐसा करने से माँ दुर्गा प्रसन्न होती है
और माँ दुर्गा के मूर्ति के दूसरी तरफ दीपक जलना चाहिए और यह दीपक रात में जरुर जलाये और शाम को विधिवत माँ दुर्गा की पूजा अर्चना की जानी चाहिए और शाम को रोज माँ दुर्गा की आरती जरुर करनी चाहिए जिससे माँ दुर्गा अति शीघ्र प्रसन्न होती है

कन्यापूजन का महत्व

KANYAPUJAN KA MAHTVA


वैसे बच्चे भगवान का ही रूप माने जाते है और माँ शक्ति के रूप में 9 देविया भी छोटी बच्चियों के रूप में अपने भक्तो के घर पधारती है इसी मान्यता के अनुसार नवरात्री के आखिरी दिन या दसवे दिन कन्यापूजन का भी विशेष महत्व है जब महिलाये 9 दिन नवरात्री व्रत पूरा कर लेती है तो फिर अपने अपने व्रत के अनुष्ठान के लिए कन्यापूजन का आयोजन किया जाता है जिसमे महिलाये बहुत ही शुद्ध रूप से छोटी कन्याओ के लिए भोजन बनाती है और फिर 9 कन्याओ को भोजन कराती है भोजन में प्रमुख रूप से सूखे चने की सब्जी, पूड़ी, हलवा बनाया जाता है और नारियल के टुकड़े और दान के रूप में अपनी इच्छा से पैसे भी दिए जाते है और पहले कन्याओ को चन्दन टीका लगाकर पूजा किया जाता है और उनको चुनरी का वस्त्र ढकने को दिया जाता है और हाथ में रक्षा बाधा जाता है और फिर श्रध्दाभाव से सभी कन्याओ को भोजन कराया जाता है इस प्रकार कन्यापूजन पूर्ण होता है जिससे माँ दुर्गा बहुत ही जल्दी प्रसन्न होती है और माँ के आशीर्वाद की कामना की जाती है

दिनांक     : 28,3,2017      मंगलवार

शुभ मूहर्त  :  8:33 से 10:24 तक सुबह

                  12:05 से  12:45 तक दोपहर
  
                  13:10से  15:15 तक दोपहर

और अंत में आप सभी को एक बार फिर नवरात्री की ढेर सारी शुभकामनाये 
यदि आप सभी को नवरात्री पर दी गयी जानकारी नवरात्री का त्यौहार पोस्ट कैसा लगा कमेंट बॉक्स में जरुर बताये और अपने सभी को शेयर करना न भूले

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