Monday 27 March 2017

नवरात्री में देवी माँ की पूजन विधि / नवरात्री पूजन विधि / नवरात्री की पूजा कैसे करे     

Navratri Pujan Saral Vidhi in Hindi / Navratri ki Puja Kaise Kare

                                                                                                                                      
                                                               
सबसे पहले आप सभी को नवरात्री की ढेर शुभकामनाये / Navratri Ki Shubhkamanye . आप सभी पर माँ शक्ति की कृपा सदैव बनी रहे ऎसी हम आप सभी के लिए माँ शक्ति से मंगल कामना करते है

कहा जाता है की सम्पूर्ण जगत धरती आकाश और पूरा ब्रह्माण्ड चलाने के लिए आदि शक्ति का शक्ति ही है जो अदृश्य रूप से सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड को संचालित करती है इसी शक्ति के शक्ति का आशीर्वाद हम सब पर बनी रहे इसी मंगल कामना के लिए हिन्दू धर्म में नवरात्री के रूप में इन्ही शक्तियों का विशेष रूप से पूजा अर्चना की जाती है जिसे हिन्धू धर्म के लोग इन विशेष तिथियों में माँ शक्ति को प्रसन्न करने के लिए नवरात्री पूजन / Navratri Pujan किया जाता है
नवरात्री में देवी माँ की पूजन विधि / नवरात्री पूजन विधि / नवरात्री की पूजा कैसे करे     

Navratri Pujan Saral Vidhi in Hindi / Navratri ki Puja Kaise Kare

हिन्दू धर्म मान्यताओ के अनुसार माँ दुर्गा दक्षिण दिशा में विराजती है इसलिए हम जब भी माँ दुर्गा की पूजा करे तो हमारा मुख दक्षिण या पूर्व दिशा की तरफ होना चाहिए जिससे हम माँ शक्ति से सीधे रूप से जुड़ सकते है और माँ दुर्गा में अपना ध्यान लगा सकते है
माँ दुर्गा की पूजा का मुख्य ध्येय सभी भक्त माँ की कृपा और दया की इच्छा रखते है और माँ की शक्ति सदा बरसते रहे जिससे फिर कभी हम खुद को कमजोर न समझे और माँ शक्ति को दया और करुणा का रूप समझा जाता है जिससे माँ शक्ति बहुत ही जल्दी अपने भक्तो पर प्रसन्न हो जाती है इसलिए माँ दुर्गा की पूजा उपासना कभी भी सच्चे मन से की जा सकती है
और माँ दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए नवरात्री में विशेष पूजा अर्चना का महत्व है और नवरात्री के 9 दिन अलग अलग देवी माँ को प्रसन्न करने किया जाता है जो सभी देविया माँ शक्ति के अलग अलग रूप है जिनके पुजन से माँ का आशीर्वाद सीधे रूप में मिलता है
नवरात्री पूजा के लिए हिन्दू महिलाये और पुरुष नवरात्र के प्रथम दिन और अष्टमी के दिन व्रत रखती है और बहुत से लोग नवरात्र के 9 दिन व्रत का पालन करते है नवरात्र में माँ दुर्गा की पूजा के लिए कलश स्थापना का विशेष महत्व है
नवरात्री पूजन के लिए सबसे पहले अपने घर की पूरी साफ़ सफाई कर लेनी चाहिए फिर नवरात्र के प्रथम दिन हम सभी को स्नान पूर्ण करके स्वच्छ वस्त्र धारण करना चाहिए फिर अपने घर या आगन में माँ दुर्गा के लिए मंडप सजाना चाहिए और माँ दुर्गा की मूर्ति की स्थापना करनी चाहिए और मूर्ति के दाई तरफ  कलश की स्थापना करनी चाहिए और सभी कलश के बाहर मिट्टी में जौ बो देना चाहिए जो की माँ दुर्गा के आशीर्वाद से सभी जौ 9 दिन में बड़े बड़े पौधे का आकार ले लेते है जो की माँ शक्ति के शक्ति का परिचायक होता है और इससे घर में समृद्धि आने का अनुमान भी होता है
और सबसे पहले हिन्दू धर्म के प्रथम देवता भगवान गणेश की पूजा करनी चाहिए इसके पश्चात माँ दुर्गा की पूजा करनी चाहिए क्यूकी ऐसा करने से माँ दुर्गा प्रसन्न होती है
और माँ दुर्गा के मूर्ति के दूसरी तरफ दीपक जलना चाहिए और यह दीपक रात में जरुर जलाये और शाम को विधिवत माँ दुर्गा की पूजा अर्चना की जानी चाहिए और शाम को रोज माँ दुर्गा की आरती जरुर करनी चाहिए जिससे माँ दुर्गा अति शीघ्र प्रसन्न होती है

कन्यापूजन का महत्व

KANYAPUJAN KA MAHTVA


वैसे बच्चे भगवान का ही रूप माने जाते है और माँ शक्ति के रूप में 9 देविया भी छोटी बच्चियों के रूप में अपने भक्तो के घर पधारती है इसी मान्यता के अनुसार नवरात्री के आखिरी दिन या दसवे दिन कन्यापूजन का भी विशेष महत्व है जब महिलाये 9 दिन नवरात्री व्रत पूरा कर लेती है तो फिर अपने अपने व्रत के अनुष्ठान के लिए कन्यापूजन का आयोजन किया जाता है जिसमे महिलाये बहुत ही शुद्ध रूप से छोटी कन्याओ के लिए भोजन बनाती है और फिर 9 कन्याओ को भोजन कराती है भोजन में प्रमुख रूप से सूखे चने की सब्जी, पूड़ी, हलवा बनाया जाता है और नारियल के टुकड़े और दान के रूप में अपनी इच्छा से पैसे भी दिए जाते है और पहले कन्याओ को चन्दन टीका लगाकर पूजा किया जाता है और उनको चुनरी का वस्त्र ढकने को दिया जाता है और हाथ में रक्षा बाधा जाता है और फिर श्रध्दाभाव से सभी कन्याओ को भोजन कराया जाता है इस प्रकार कन्यापूजन पूर्ण होता है जिससे माँ दुर्गा बहुत ही जल्दी प्रसन्न होती है और माँ के आशीर्वाद की कामना की जाती है

दिनांक     : 28,3,2017      मंगलवार

शुभ मूहर्त  :  8:33 से 10:24 तक सुबह

                  12:05 से  12:45 तक दोपहर
  
                  13:10से  15:15 तक दोपहर

और अंत में आप सभी को एक बार फिर नवरात्री की ढेर सारी शुभकामनाये 
यदि आप सभी को नवरात्री पर दी गयी जानकारी नवरात्री का त्यौहार पोस्ट कैसा लगा कमेंट बॉक्स में जरुर बताये और अपने सभी को शेयर करना न भूले

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Tuesday 21 March 2017

                                लवबर्ड का जोड़ा रखें 

##यदि आपका दाम्पत्य जीवन सुखमय है तो अन्य परेशानियां स्वयं ही समाप्त हो जाती हैं। पति-पत्नी के बीच मधुरता बढ़ाने के लिए कुछ वास्तु सिद्धांतों का भी उपयोग किया जा सकता ह1


##नीचे ऐसे ही कुछ वास्तु टिप्स दी गई है जिनसे आप अपना दाम्पत्य जीवन सुखमय बना सकते हैं

##लवबर्ड, मैंडरेन डक जैसे पक्षी प्रेम के प्रतीक हैं इनकी छोटी मूर्तियों का जोड़ा अपने बेडरूम में रखें।

##बेडरूम में दक्षिण-पश्चिम दिशा में दिल की आकृति का रोज क्वाट्र्ज रखें


##पति-पत्नी के प्रतीक के रूप में बेडरूम में दो सुंदर सजावटी गमले रखें।
##बेडरूम में पानी की तस्वीर वाली पेंटिंग न लगाएं इसके स्थान पर रोमांटिक कलाकृति, युगल पक्षी की तस्वीर लगाएं।
##यदि आपको लगे कि आपका प्यार छिन रहा है तो आप अपने कमरे में शंख या सीपी अवश्य रखें। इससे आपका प्यार आपसे दूर नहीं जाएगा।
## यदि आपकी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है और इसी वजह से दांपत्य जीवन सुखमय नहीं है तो सुंदर से बाउल में पवित्र क्रिस्टल को चावल के दानों के साथ मिलाकर रखें। इन नुस्खों को आजमाने पर निश्चित ही कुछ ही समय में आपको सकारात्मक प्रभाव दिखाई देने लगेंगे। आपका दांपत्य जीवन खुशियों भरा और सुखी होगा।

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Friday 10 March 2017

          मनीप्लंट: कैसे करें दिशा, स्थान का चयन                                                                                                                                                                                  
                                                   


  ##माना जाता है कि मनी प्लांट का पौधा घर में लगाने से घर में धन का आगमन बढ़ता है और सुख-समृद्धि में इज़ाफा होता है। इस तरह के मान्यता के कारण बहुत से लोग अपने घरों में मनी प्लांट के पौधे लगाए गए हैं। लेकिन मनी प्लांट को लगाने के बाद भी धनागम में कोई अंतर नहीं होता है लेकिन कई बार आर्थिक नुकसान भी उठाना पड़ता है। इसका कारण वास्तु विज्ञान में बताया गया है। 
##वास्तु विज्ञान के अनुसार हर पौधे के लिए एक दिशा निर्धारित है। यदि उचित दिशा में पेड़-पौधा लगाए हैं तो वातावरण का सकारात्मक ऊर्जा लाभ मिलता है। लेकिन गलत दिशा में वृक्षारोपण करने से लाभ की बजाय नुकसान हो रहा है लगता है। वास्तु विज्ञान में मनी प्लांट के पौधे लगाने के लिए आग्नेय दिशा यानी दक्षिण-पूर्व को सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। आग्नेय दिशा का देवता गणेश जी और प्रतिनिधि ग्रह शुक्र है। गणेश जी अमंगल का नाश करते हैं और शुक्र सुख-समृद्धि का कारक होता है। बेल और लता का कारक शुक्र होगा इसलिए अगानेय दिशा में मनी प्लांट लगाने वाला इस दिशा का सकारात्मक प्रभाव होगा। मनी प्लांट के लिए सबसे नकारात्मक दिशा ईशान यानी उत्तर पूर्व माना गया है। इस दिशा में मनी प्लांट लगाने पर धन वृद्धि की बजाय आर्थिक नुकसान हो सकता है।
##ईशान का प्रतिनिधि ग्रह बृहस्पति है शुक्र और बृहस्पति में शत्रुत्व संबंध होता है क्योंकि एक राक्षस के गुरु हैं तो अन्य देवताओं के गुरु शुक्र से संबंधित चीज इस दिशा में होने पर हानि होती है।
## वास्तु विज्ञान के अनुसार उत्तर पूर्व दिशा के लिए सबसे उत्तम तुलसी का पौधा होता है। इसलिए ईशान दिशा में मनी प्लांट लगाने के बजाय तुलसी लगाए अन्य दिशाओं में मनी प्लांट का पौधा लगाने पर इसका प्रभाव कम हो जाता है।
Astrologer, Vastu Expert
Sanjay shastri                                                                                                                                           cell:9417108986                      

Monday 6 March 2017




           बाथरुम में दर्पण से हो सकता है नुकसान




बाथरुम घर का एक अहम हिस्सा होता है।हर दिन की शुरुआत आमतोर पर यही से होती है। क्योंकि सुबह उठते ही सबसे पहले फ्रेश होने के लिए हम बाथरुम पहुंचते हैं ।इस लिए जरूरी है कि बाथरुम सुन्दर दिखने के साथ ही साथ सकारात्मक ऊर्जा प्रदान क रने वाला हो ताकि पुरा दिन अच्छा बीते । यही कारण है कि बहुत से लोग बाथरूम में टाइल्स लगवाते हैं और कई एक्सेसरीज से सजाकर रखते हैं फेस वॉश करने अथवा स्नान करने के बाद खुद को देखने के लिए लोग बाथरूम में दर्पण भी लगाते हैं।

वास्तु विज्ञान के अनुसार बाथरुम में दर्पण लगाते समय इस बात का ध्यान रखें कि
दर्पण दरवाजे के ठीक सामने नही हो।दर्पण का काम  होता ह । परावर्तन यानी रिफ्लैट करना । जब हम बाथरुम में प्रवेश करते हैं तो हमारे साथ सकारात्मक और नकारात्मक ऊर्जा बाथरुम में प्रवेश करती हैं ।
जब हम सोकर उठते हैं तब नकारात्मक ऊर्जा की मात्रा अधिक होती है ।दरवाजे के सामने दर्पण  होने से हमारे साथ जो भी उर्जा बाथरुम में प्रवेश करती है वह वापस घर में लोट आती हैं । जिससे प्रगति की रफतार धीमी पड़ जाती है। दर्पण के नकारात्मक प्रभाव को दूर करने के लिए बाथरुम में दर्पण इस प्रकार लगान चाहिए ताकि इसका रिफ्लैक्शन  बाथरुम से बाहर की ओर नहीं हो। 




Sanjay shastri
Abohar(Punjab)
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Friday 3 March 2017

                                                                                                                                                                                                                                              वास्तु टिप्स



##घर की बाहरी रंगत करेगी वास्तुदोष दूर
यदि घर में कोई वास्तुदोष हो और आपको समझ नहीं आ रहा है कि उस वास्तुदोष से कैसे निपटा जाए तो आप केवल अपने मकान के मुंह की दिशा के अनुसार बाहरी दिवारों पर पेंट करवाकर अपने घर के वास्तुदोष को कम कर सकते हैं।
##यदि आपका घर पूर्वमुखी हो तो फ्रंट में लाल, मेहरून रंग करें।
##पश्चिममुखी हो तो लाल, नारंगी, सिंदूरी रंग करें।
##उत्तरामुखी 
हो तो पीला, नारंगी करें।
##दक्षिणमुखी हो तो गहरा नीला रंग करें।किचन में लाल रंग।बेडरूम में हल्का नीला, आसमानी। ड्राइंग रूम में क्रीम कलर
##पूजा घर में नारंगी रंग।
##शौचालय में गहरा नीला
##फर्श पूर्ण सफेद न हो क्रीम रंग का होना चाहिए।
##छोटे उपाय जिनसे होगा बढ़ा लाभक्या आप घर के वास्तुदोष से परेशान है?
वास्तुदोष के कारण ही घर में कोई ना कोई समस्या हमेशा बनी रहती है। घर के सही वास्तु का मतलब ये कतई नहीं है, कि घर में तोड़-फोड़ ही कि जाए। घर के वास्तु में कुछ छोटे-छोटे परिवर्तन ऐसे होते हैं जिनको अपनाने से आप बड़ा लाभ पा सकते हैं।
##घर में अगर झगड़ा ज्यादा हो तो कैक्टस या कांटे वाले पौधे निकाल दें।
##अलमारी को कभी दक्षिण मुखी न रखेर अगर दक्षिणमुखी हो तो फ्रंट में नीला रंग रखें।
##घर में कोई ज्यादा बीमार होता हो तो एक कटोरी में केशर घोल कर रखें।
##घर में बरकत न हो तो गणपति को घर में स्थापित करें।
##घर के मुख्य दरवाजे पर गणेश का बांयी सूण्ड वाला चित्र लगाएं।


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                                                        व्यापार में सफलता देते हैं यह वास्तु टिप्स


##वास्तु शास्त्र के सिद्धांत सिर्फ घर पर ही नहीं बल्कि ऑफिस व दुकान पर भी लागू होते हैं। यदि दुकान या ऑफिस में वास्तु दोष हो तो व्यापार-व्यवसाय में सफलता नहीं मिलती। किस दिशा में बैठकर आप लेन-देन आदि कार्य करते हैं, इसका प्रभाव भी व्यापार में पड़ता है। यदि आप अपने व्यापार-व्यवसाय में सफलता पाना चाहते हैं नीचे लिखी वास्तु टिप्स का उपयोग करें-
##वास्तु शास्त्रियों के अनुसार चुंबकीय उत्तर क्षेत्र कुबेर का स्थान माना जाता है जो कि धन वृद्धि के लिए शुभ है। यदि कोई व्यापारिक वार्ता, परामर्श, लेन-देन या कोई बड़ा सौदा करें तो मुख उत्तर की ओर रखें। इससे व्यापार में काफी लाभ होता हैइसके पीछे वैज्ञानिक कारण भी है कि इस ओर चुंबकीय तरंगे विद्यमान रहती हैं जिससे मस्तिष्क की कोशिकाएं सक्रिय रहती हैं और शुद्ध वायु के कारण भी अधिक ऑक्सीजन मिलती है जो मस्तिष्क को सक्रिय करके स्मरण शक्ति बढ़ाती हैं। सक्रियता और स्मरण शक्ति व्यापारिक उन्नति और कार्यों को सफल करते हैं। व्यापारियों के लिए चाहिए कि वे जहां तक हो सके व्यापार आदि में उत्तर दिशा की ओर मुख रखें तथा कैश बॉक्स और महत्वपूर्ण कागज चैक-बुक आदि दाहिनी ओर रखें। इन उपायों से धन लाभ तो होता ही है साथ ही समाज में मान-प्रतिष्ठा भी बढ़ती है।

Thursday 2 March 2017

स्वस्थ रहने के लिए अपनाएं वास्तुशास्त्र



##आपने वह कहावत तो सुनी ही होगी कि स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ दिमाग का निवास होता है। इसके लिए अपनी जीवन शैली में सुधार लाने के साथ-साथ अगर वास्तुशास्त्र के कुछ आधारभूत नियमों का भी खयाल रखा जाए तो परिवार में स्वास्थ्यप्रद वातावरण बना रहेगा :
##सुबह उठकर पूर्व दिशा की सारी खिडकियां खोल दें। उगते सूरज की किरणें सेहत के लिए बहुत लाभदायक होती हैं। इससे पूरे घर के बैक्टीरिया एवं विषाणु नष्ट हो जाते हैं।
##दोपहर बाद सूर्य की अल्ट्रावॉयलेट किरणों से निकलने वाली ऊर्जा तरंगें सेहत के लिए बहुत नुकसानदेह होती हैं। इनसे बचने के लिए सुबह ग्यारह बजे के बाद घर की दक्षिण दिशा स्थित खिडकियों और दरवाजों पर भारी पर्दे डाल कर रखें। क्योंकि ये किरणें त्वचा एवं कोशिकाओं को क्षति पहुंचाती हैं।
##रात को सोते समय ध्यान दें कि आपका सिर कभी भी उत्तर एवं पैर दक्षिण दिशा में न हो अन्यथा सिरदर्द और अनिद्रा जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
##गर्भवती स्त्रियों को दक्षिण-पश्चिम दिशा स्थित कमरे का इस्तेमाल करना चाहिए। ऐसी अवस्था में पूर्वोत्तर दिशा या ईशान कोण में बेडरूम नहीं रखना चाहिए। इसके कारण गर्भाशय संबंधी समस्याएं हो सकती हैं।
##नवजात शिशुओं के लिए घर के पूर्व एवं पूर्वोत्तर के कमरे सर्वश्रेष्ठ होते हैं। सोते समय बच्चे का सिर पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए।
##हाई ब्लडप्रेशर के मरीजों को दक्षिण-पूर्व में बेडरूम नहीं बनाना चाहिए। यह दिशा अग्नि से प्रभावित होती है और यहां रहने से ब्लडप्रेशर बढ जाता है।
##बेडरूम हमेशा खुला और हवादार होना चाहिए। ऐसा न होने पर व्यक्ति को मानसिक तनाव एवं नर्वस सिस्टम से संबंधित बीमारियां हो सकती हैं।
##वास्तुशास्त्र की दृष्टि से दीवारों पर सीलन होना नकारात्मक स्थिति मानी जाती है। ऐसे स्थान पर लंबे समय तक रहने से श्वास एवं त्वचा संबंधी समस्याएं हो सकती हैं।
##परिवार के बुजुर्ग सदस्यों को हमेशा नैऋत्य कोण अर्थात दक्षिण-पश्चिम दिशा में स्थित कमरे में रहना चाहिए। यहां रहने से उनका तन-मन स्वस्थ रहता है



शास्त्रानुसार गृह प्रवेश में माघ ,फाल्गुन, वैशाख, ज्येष्ठ आदि मास शुभ बताए गए हैं। इन मास में गृहप्रवेश करने वालों को धन-धान्य और संतोष की प्राप्ति होती है।
वास्तु की हमारे जीवन अहम भूमिका है। यह हमारी दैनिक दिनचर्या को प्रभावित करता है। अक्सर लोग महसूस करते हैं कि घर में क्लेश रहता है या फिर हर रोज कोई न कोई नुकसान होता रहता है। किसी भी कार्य को आगे बढ़ाने में बहुत सारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।
घर में नकारात्मकता महसूस होती है। इन सब परिस्थितियों के पीछे वास्तुदोष हो सकते हैं। घर में मौजूद इन्हीं वास्तु दोषों को दूर करने के लिए जो पूजा की जाती है उसे वास्तु शांति पूजा कहते हैं।
मान्यता है कि वास्तु शांति पूजा से घर के अंदर की सभी नकारात्मक शक्तियां दूर हो जाती हैं घर में सुख-समृद्धि आती है। नवीन घर का प्रवेश उत्तरायण सूर्य में वास्तु पूजन करके ही करना चाहिए। उसके पहले वास्तु का जप यथाशक्ति करा लेना चाहिए। शास्त्रानुसार गृह प्रवेश में माघ ,फाल्गुन, वैशाख, ज्येष्ठ आदि मास शुभ बताए गए हैं। माघ महीने में प्रवेश करने वाले को धन का लाभ होता है।
जो व्यक्ति अपने नए घर में फाल्गुन मास में वास्तु पूजन करता है, उसे पुत्र, प्रौत्र और धन प्राप्ति होती है और जीवन में संतोष बना रहता है। चैत्र मास में नवीन घर में रहने के लिए जाने वाले को धन का अपव्यय सहना पड़ता है।
गृह प्रवेश बैशाख माह में करने वाले को धन-धान्य की कोई कमी नहीं रहती है। जो व्यक्ति पशु एवं पुत्र सुख चाहता हो, ऐसे व्यक्ति को अपने नए मकान में ज्येष्ठ माह में प्रवेश करना चाहिए। बाकी के महीने वास्तु पूजन व गृह प्रवेश में साधारण फल देने वाले होते हैं।
मलमास में न करें गृहप्रवेश
शुक्लपक्ष की प्रतिपदा से लेकर कृष्णपक्ष की दशमी तिथि तक वास्तुनुसार गृह प्रवेश वंश वृद्धिदायक माना गया है। धनु मीन के सूर्य यानी के मळमास में भी नए मकान में प्रवेश नहीं करना चाहिए। पुराने मकान को जो व्यक्ति नया बनाता है, और वापस अपने पुराने मकान में जाना चाहे, तब उस समय उपरोक्त बातों पर विचार नहीं करना चाहिए।
जिस मकान का द्वार दक्षिण दिशा में हो तो गृह प्रवेश एकम, छठ, ग्यारस आदि तिथियों में करना चाहिए। दूज, सातम् और बारस तिथि को पश्चिम दिशा के द्वार का गृह प्रवेश श्रेष्ठ बतलाया गया है।


इसलिए जरूरी है वास्तु पूजन
किसी भी भूमि पर घर की चारदीवारी बनते ही वास्तुपुरूष उस घर में उपस्थित हो जाता है और गृह वास्तु के अनुसार उसके इक्यासी पदों (हिस्सों) में उसके शरीर के भिन्ना-भिन्ना हिस्से स्थापित हो जाते हैं और इन पर पैंतालीस देवता विद्यमान रहते हैं।
वैज्ञानिक दृष्टि से किसी भी मकान या जमीन में पैंतालीस विभिन्न ऊर्जा पाई जाती हैं और उन ऊर्जाओं का सही उपयोग ही वास्तुशास्त्र है। इस प्रकार वास्तुपुरुष के जिस पद में नियमों के विरुद्ध स्थापना या निर्माण किया जाता है उस पद का अधिकारी देवता अपनी प्रकृति के अनुरूप अशुभ फल देते हैं तथा जिस पद के स्वामी देवता के अनुकूल स्थापना या निर्माण किया जाए उस देवता की प्रकृति के अनुरूप सुफल की प्राप्ति होती है।
गृह प्रवेश के पूर्व वास्तु शांति कराना शुभ होता है। इसके लिए शुभ नक्षत्र वार एवं तिथि इस प्रकार हैं...
शुभ वार- सोमवार, बुधवार, गुरुवार, व शुक्रवार
शुभ तिथि- शुक्लपक्ष की द्वितीया, तृतीया, पंचमी, सप्तमी, दशमी, एकादशी, द्वादशी एवं त्रयोदशी
शुभ नक्षत्र- अश्विनी, पुनर्वसु, पुष्य, हस्त, उत्तरफाल्गुनी, उत्तराषाढ़ा, उत्तराभाद्रपद, रोहिणी, रेवती, श्रवण, धनिष्ठा, शतभिषा, स्वाति, अनुराधा एवं मघा।
अन्य विचार- चंद्रबल, लग्न शुद्धि एवं भद्रादि का विचार कर लेना चाहिए।


गृहशांति पूजन न करवाने से इन हानि की आशंका
-यदि गृहप्रवेश के पूर्व गृहशांति पूजन नहीं किया जाए तो दुस्वप्न आते हैं। अकालमृत्यु, अमंगल संकट आदि का भय हमेशा रहता है।
-गृहनिर्माता को भयंकर ऋणग्रस्तता का सामना करना पड़ता है, एवं ऋण से छुटकारा भी जल्दी से नहीं मिलता, ऋण बढ़ता ही जाता है।
-घर का वातावरण हमेशा कलह एवं अशांतिपूर्ण रहता है। घर में रहने वाले लोगों के बीच मनमुटाव बना रहता है। वैवाहिक जीवन भी सुखमय नहीं होता।
-उस घर के लोग हमेशा किसी न किसी बीमारी से पीड़ित रहते है, तथा वह घर हमेशा बीमारियों का डेरा बन जाता है।
-गृहनिर्माता को पुत्रों से वियोग आदि संकटों का सामना करना पड़ सकता है।
-जिस गृह में वास्तु दोष आदि होते है, उस घर मे बरकत नहीं रहती अर्थात धन टिकता नहीं है। आय से अधिक खर्च होने लगता है।
-जिस गृह में बलिदान तथा ब्राहमण भोजन आदि कभी न हुआ हो ऐसे गृह में कभी भी प्रवेश नहीं करना चाहिए। क्योंकि वह गृह आकस्मिक विपत्तियों को प्रदान करता है।
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